Saturday, October 15, 2016

संजीदगी ।

बड़ी बेदर्द है,  बेशक़ीमती निवाजिश, ज़िंदगी भी,

ख़त्म  कर  देती है, जवाँ  होते-होते, संजीदगी भी..!


बेदर्द = निर्दय; निर्मम;   

बेशक़ीमती = बहुमूल्य;
 
निवाजिश = कृपा,दया;
  
संजीदगी = उद्वेगहीनता,शांतचित्तता;

मार्कण्ड दवे । दिनांकः २० अगस्त२०१६.


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